हनुमान जन्मोत्सव : हिन्दू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त हैं। हर वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पवित्र दिन त्रैता युग में हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की सलाह मिलती है। हनुमान जी व्यक्ति के सभी मनों को पूरा करें। धार्मिक मतानुसार हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।
कब है हनुमान जन्मोत्सव- वर्ष 2024 में हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रैल, मंगलवार को है।
महोत्व-
- पूर्णिमा तिथि – अप्रैल 23, 2024 को 03:25 पूर्वाह्न
- पूर्णिमा तिथि समाप्त – अप्रैल 24, 2024 को 05:18 पूर्वाह्न
हनुमान जी पूजा-विधि:
- सबसे पहले मंदिर में घी की ज्योत कातिल करें।
- हनुमान जी का गंगा जल से अभिषेक करें।
- अभिषेक करने के बाद एक साफ़ वस्त्र से हनुमान जी की मूर्ति को पूछें।
- सिन्दूर और घी या चमेली के तेल को मिला लें।
- अब हनुमान जी को चोला चढ़े।
- सबसे पहले हनुमान जी के बाएँ हाथ में चोला चढ़ाएँ।
- हनुमान जी को चोला चढ़ाने के बाद चांदी या सोने की दुकान पर भी चढ़ा दिया।
- हनुमान जी को जनेऊ वस्त्र।
- जनेऊ वस्त्राने के बाद हनुमान जी को साफ वस्त्र वस्त्र।
- चोला चढ़ाने के बाद हनुमान जी को भोग लगाएं।
- हनुमान जी की आरती भी अवश्य देखें।
- हनुमान चालीसा का एक से अधिक बार पाठ करें।
पूजन सामग्री की सूची-
- सिन्दूर
- घी या चमेली का तेल
- चाँदी या सोने का कारखाना
- वस्त्र
- जनेउ
हनुमान जन्मोत्सव का दिन बन रहा अद्भुत संयोग: हनुमान जन्मोत्सव पर वर्ष 2024 में प्राचीन काल के बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार, मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित माना जाता है और वर्ष 2024 में हनुमान जन्मोत्सव का दिन भी मंगलवार को पड़ता है। मंगलवार के दिन होने वाले हनुमान जन्मोत्सव के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ता जा रहा है।
हनुमान जन्मोत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा- पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंजना एक अप्सरा थी। श्राप के कारण पृथ्वी का जन्म हुआ था और यह श्राप वैलिडिटी तब अस्तित्व में आई जब वे एक संत के जन्म पर पहुंचे। रामायण के अनुसार महाराज केसरी बजरंगबली जी के पिता थे। वे सुमेरु के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने 12 साल की भगवान शिव की घोर तपस्या के लिए संत मत के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। ऐसा विश्वास है कि हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं।
हनुमान जी की आरती-
आरती की जय हनुमान लला की। दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न हुंके।।
अनन्या पुत्र महाबलाद। संत के प्रभु सदा सहाय।
दे बीरा पठाए। लंका रिलीज़ सिया सुध ख़बर।
लंका सो कोट समुद्र सी खाँ। जात पवनसुत बार न लै।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे।
पति पाताल तोरि जाम करे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
वाम भुजा असुरदल मारे। दायीं भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारते। जय जय जय हनुमान उचारे।
कंचन था कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
लंकाविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
आरती की जय हनुमान लला की। दल दुष्टन कला की